कुमार गंधर्व जी की 'उड़ जाएगा हंस अकेला... बोर चेता.. झीनी-झीनी चदरिया... सुनता है गुरु ज्ञानी... रचनाएं ऐसी है जो बरबस ही बांध लेती है। उनके गायन की एक खास शैली थी ....
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